भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम,प्यार,अनुराग ..... / सर्वत एम जमाल

Kavita Kosh से
Alka sarwat mishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:25, 15 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna}} रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

                  रचनाकार=सर्वत एम जमाल  
                  संग्रह=
                  }}

प्रेम, प्यार ,अनुराग ,मुहब्बत

यह भावनाएं मुझमें भी हैं

आख़िर हूँ तो मैं भी

इंसान ही ।

किसी की नशीली आँखें

सुलगते होंठ

खुले-अधखुले , सुसज्जित केश

मुझे भी प्रभावित करते हैं

शायद तुम्हे विश्वास नहीं

क्योंकि मेरी रचनाओं में

तुम्हें इसकी परछाई तक

दिखाई नहीं पड़ती।

यह भी मेरे

प्रेम , अनुराग

प्यार , मुहब्बत का

प्रमाण है

जो मुझे है

प्रकृति से ,

धरती से ,

विधाता की हर रचना से।


मैं नफरत करता हूँ

शोषण से ,

अत्याचार से ,

दिखावे से,

झूट को सच

और सच को

झूट कहने से ।

यही कारण है

मेरी रचनाएं

इनके विरोध में खड़ी हैं ।


जब कभी

इस अघोषित युद्ध में

जीत ,

मेरी कविताओं की

मेरे विचारों की होगी

और हार जायेंगे

शोषण , अत्याचार , कदाचार

एवं

धरती पर नफरत उगाने वाले

और उनके सहायक तत्व

तब इस धरती पर

सिर्फ़ प्रेम होगा


कोई बच्चा ,

नहीं शिकार होगा

कुपोषण और

बालश्रम के

दानव का ।

कोई महिला

देह्शोषित

नहीं होगी ।

कोई पुरूष

अपने ही

परिजनों की नजरों में

शर्मिन्दा नहीं होगा


तब

मेरी रचनाएं

फ़िर

समय का दर्पण बनेंगी

और एक

नया फलक बनाएंगी ,

इस धरती के लिए ।


मुझे विश्वास है

तब मैं अकेला नहीं रहूँगा

अजूबा नहीं रहूँगा

और ऐसा नहीं रहूँगा ।

परन्तु क्या

मेरे जीते जी

ऐसा होगा ?