भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज्योति कलश छलके / नरेन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:52, 8 दिसम्बर 2006 का अवतरण (ज्योति कलश छलके moved to ज्योति कलश छलके / नरेन्द्र शर्मा)
लेखक: नरेन्द्र शर्मा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
ज्योति कलश छलके - ४
हुए गुलाबी, लाल सुनहरे
रंग दल बादल के
ज्योति कलश छलके
घर आंगन वन उपवन उपवन
करती ज्योति अमृत के सींचन
मंगल घट ढल के - २
ज्योति कलश छलके
पात पात बिरवा हरियाला
धरती का मुख हुआ उजाला
सच सपने कल के - २
ज्योति कलश छलके
ऊषा ने आँचल फैलाया
फैली सुख की शीतल छाया
नीचे आँचल के - २
ज्योति कलश छलके
ज्योति यशोदा धरती मैय्या
नील गगन गोपाल कन्हैय्या
श्यामल छवि झलके - २
ज्योति कलश छलके
अम्बर कुमकुम कण बरसाये
फूल पँखुड़ियों पर मुस्काये
बिन्दु तुहिन जल के - २
ज्योति कलश छलके