हौंसलों में फ़कत उतार सही
वक़्त ज्यादा ही होशियार सही
आप कितना गलत-गलत समझे
हमको कहना है बार-बार सही
हम तो पैदल चलेंगे मंज़िल तक
आप ही पाँचवे सवार सही
वक़्त की त्योरिया भी उतरेंगी
और थोड़ा इंतज़ार सही
जो नज़ारे नज़र नहीं आते
उन नज़रों की यादगार सही
नाउम्मीदी से लाख बेहतर है
एक उम्मीद दाग़दार सही