मत पूछिए क्यों पाँव में रफ़्तार नहीं है
यह कारवँए मंज़िल का तलबगार नहीं है
जेबों में नहीं, सिर्फ गरेबान में झाँको
यह दर्द का दरबार है बाज़ार नहीं है
सुर्खी में छपी है, पढ़ो मीनार की हालत
फुटपाथ की हालत से सरोकार नहीं है
जो आदमी की साफ़ सही शक्ल दिखा दे
वो आईना माहौल को दरकार नहीं है
सब हैं तमाशबीन, लगाए हैं दूरबीन
घर फूँकने को एक भी तैयार नहीं है