रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} साँचा:KKCatGazal
वो जिनका था इन्तिज़ार, आए
मगर हवा पर सवार आए
जब आइनों से न पार पाया
सब अपने चेहरे उतर आए
हम एक नारे पे जी रहे हैं
बहार आए, सुधार आए
मिटा न पाया कोई अँधेरा
बडे बडे होशियार आए
घुटन से बचना भी है मुसीबत
हवा चले तो बुखार आए
अब अपनी आंखों को बंद कर लो