मेरे समाज की हालत सही-सही मत पूछ
कहाँ-कहाँ से गया टूट आदमी मत पूछ
सुकून ढूँढती आँखो में बेशुमार सवाल
हसीन आरज़ू आखिर कहाँ गई मत पूछ
हरेक शख़्स है शामिल जहाँ नौटंकी में
वहाँ है कादमी ज़्यादा या त्रासदी मत पूछ
ख़ुदी के नाम पर ख़ुदग़र्ज़ी की बन आई
महान देश ने कर ली क्यों ख़ुदकशी मत पूछ