भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंडे पर अंडा / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:29, 15 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=मार प्यार की थापें / के…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अंडे पर अंडा
और
अंडे पर अंडा
देती है
जैसे मुर्गी
रोज-ब-रोज;
सरकार भी
देती है उसी तरह
आयोग पर आयोग
और
आयोग पर आयोग
रोज-ब-रोज।

रचनाकाल: २६-०२-१९७८