भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पाटल / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:53, 17 अक्टूबर 2010 का अवतरण ("पाटल / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पाटल
कपोल के अरुणोदय के,
मुखर-मौन की
पंखुरियों को खोले,
तन्वी-तन की
तरुणाई के
मधु-पराग से पूरित,
गंध-गंध हो महकें,
मदन-मोद से
नर्तन में पद
मारुत-मन के बहके।

रचनाकाल: ०७-०६-१९७८



अमेरिकन सिनोमैटोग्राफर के दिसंबर, १९७७ के अंक के आवरण-पृष्ठ की बैले-नर्तकी को देखकर। मद्रास