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तरसत जियरा हमार नैहर में (कजरी) / खड़ी बोली

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 तरसत जियरा हमार नैहर में,
 बाबा हठ कीनॊ, गवनवा न दीनो
 बीत गइली बरखा बहार नैहर में,
 फट गयी चुन्दरी, मसक गयी अन्गिया
 टूट गइल मोतिया के हार,नैहर में,
 कहत छ्बीले पिया घर नाही
 नाही भावत जिया सिन्गार,नैहर में.