तरसत जियरा हमार नैहर में,
बाबा हठ कीनॊ, गवनवा न दीनो बीत गइली बरखा बहार नैहर में,
फट गयी चुन्दरी, मसक गयी अन्गिया टूट गइल मोतिया के हार,नैहर में,
कहत छ्बीले पिया घर नाही नाही भावत जिया सिन्गार,नैहर में.
तरसत जियरा हमार नैहर में,
बाबा हठ कीनॊ, गवनवा न दीनो बीत गइली बरखा बहार नैहर में,
फट गयी चुन्दरी, मसक गयी अन्गिया टूट गइल मोतिया के हार,नैहर में,
कहत छ्बीले पिया घर नाही नाही भावत जिया सिन्गार,नैहर में.