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आराम / केदारनाथ अग्रवाल
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आराम
न जिसके हाथ है-न पाँव
सिर्फ धड़ है, बिना सिर का,
जैसा आराम मरा आराम है
घर से निकाल देने योग्य अविलम्ब
मसान में जलाने योग्य तत्काल
रचनाकाल: ०५-११-१९६७