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फूल / केदारनाथ अग्रवाल

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सूख गए फूल
देवता पर चढ़े
निर्देव फूल
पेड़ में लगे
हरे हैं
नहीं
अब तक नहीं झरे हैं

रचनाकाल: २३-१०-१९७०