भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मानता / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:30, 1 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावा…)
म्हैं मांग्यो
सांवरै सूं
फगत अर फगत
थनै
थारै ओळावै
सांवरै
म्हनैं सूंप दी
आखी दुनियां
सांचाणी
अबै म्हनैं आ दुनियां
थारै दांई
चोखी लागै।