भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर में रमती कवितावां 1 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:00, 3 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामस्वरूप किसान |संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्व…)
छात पर चढ़‘र
हेलौ मारदयौ
कोई नीं सुणै
छात रै लटक ज्यावौ
सगळौ गांव
भेळौ हुज्यै।