भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काहे को ब्याहे बिदेस / अमीर खुसरो

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:51, 2 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमीर खुसरो }} काहेको ब्याहे बिदेस, अरे लखियन बाबुल मोह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

काहेको ब्याहे बिदेस, अरे लखियन बाबुल मोहे
काहेको ब्याहे बिदेस

हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियन
अरे घर-घर माँगे हैं जाए
अरे लखियन बाबुल मोहे
काहेको ब्याहे बिदेस

महलन तले से डोला जो निकला
अरे बीरन में छाए पछाड़
अरे लखियन बाबुल मोहे
काहेको ब्याहे बिदेस

भैया को दियो बाबुल महलन दो महलन
अरे हम को दियो परदेस
अरे लखियन बाबुल मोहे

काहेको ब्याहे बिदेस
अरे लखियन बाबुल मोहे
काहेको ब्याहे बिदेस
अरे लखियन बाबुल मोहे

इस रचना को हिन्दी फ़िल्म उमराओ जान के लिये जगजीत कौर ने ख़्य्याम के संगीत में गाया भी है