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आम की तरह बौराए हैं हम / केदारनाथ अग्रवाल

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वैसे तो उदास हैं हम
कर्महीन
बदहवास हैं हम;
फिर भी
फगुनाए हैं हम,
इस उम्र में भी
आम की तरह बौराए हैं हम,
चिरकुटिया चोला
बसंती बनाए हैं हम,
फूलों की बरात का
मौसम लाए हैं हम,
चिड़ियों के साथ
हर्ष से गुनगुनाए हैं हम,
फगुनाए हैं हम-
आम की तरह बौराए हैं हम

रचनाकाल: २३-०३-१९७६