इस गुब्बारे की छाया में
रचनाकार | नागार्जुन |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन, दिल्ली |
वर्ष | 1989 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 96 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- महादैत्य का दु:स्वप्न / नागार्जुन
- इस गुब्बारे की छाया / नागार्जुन
- हमें वापस दे दो / नागार्जुन
- वे खा गए... / नागार्जुन
- गुपचुप हजम करोगे / नागार्जुन
- लोकतंत्र के मुँह पर ताला / नागार्जुन
- नर्सरी राइम / नागार्जुन
- नाटक में टूटेगा नमक कानून / नागार्जुन
- शासन रहा ऊँघ / नागार्जुन
- और बढ़े दाम,और बढ़े दाम ! / नागार्जुन
- हम ठहरे... / नागार्जुन
- जागते रहे निरन्तर / नागार्जुन
- भारी ताला / नागार्जुन
- भाता कैसे कुल्लू जी / नागार्जुन
- गुठलियों के दाम आएंगे / नागार्जुन
- ओ मेरे वंशमणि ! ओ मेरे कुलदीप ! / नागार्जुन
- अपने तो पीछे जमे रहेंगे... / नागार्जुन
- कुहरा क्या छाया / नागार्जुन
- अंह का शेषनाग / नागार्जुन
- वाह पाटलिपुत्र ! / नागार्जुन
- एक ख़त / नागार्जुन
- वाणी ने पाए प्राणदान / नागार्जुन
- दूर बसे उन नक्षत्रों पर / नागार्जुन
- तालाब की मछलियाँ / नागार्जुन
- जाति गौरव गंगदत्त / नागार्जुन
- अभी-अभी उस दिन / नागार्जुन
- भारत भाग्य विधाता / नागार्जुन
- बड़ा साहब / नागार्जुन
- रामराज / नागार्जुन
- कांग्रेसजन तो तेणें कहिए... / नागार्जुन
- ? ? ? / नागार्जुन
- छतरी वाला जाल छोड़कर / नागार्जुन
- भारत-पुत्री नगरवासिनी / नागार्जुन
- तुम्हें मुबारक शाही नखरे / नागार्जुन
- मुबारक हो नया साल / नागार्जुन
- नशा चढ़ा था बे-अन्दाज़ / नागार्जुन
- देखन वाले देखो... / नागार्जुन
- चना ज़ोर गरम... / नागार्जुन
- जयति जयति जय सर्व मंगला / नागार्जुन
- वह कौन था ? / नागार्जुन
- खुशी के मारे / नागार्जुन
- गुड़ मिलेगा / नागार्जुन