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किस्ते-किस्त मरै छै गाँधी / विजेता मुद्‍गलपुरी

बापू के आदर्श मानि के हम एतना शालीन भेल छी
उनकर सत्य अहिंसा के अपनाबी के स्वाधीन भेल छी

सत्याग्रह से क्रूर प्रशासन हँटलै देश अजाद भे गेलै
नव भारत निर्माण लेल सुन्दर पथ गाँधीवाद भे गेलै

हुनकर सपना रहै कि भारतवर्ष धर्म निर्पेक्ष कहाबे
जाति धर्म के भेद मिटे, मानव खाली मानव कहलाबे

हिन्दू और इस्लाम इसाई सभ्भे के उद्देश्य एक छै
छुआ छूत के भेद मोन में जेकरा, से छिछला विवेक छै

चर्खा चले घरे-घर, कपड़ा पिन्हे अप्पन कातल बीनल
सुन्दर सुखद समाज बने, सब लोग लगे अपनत्व से भीनल

मगर कल्पना आधे रहलै अखण्डता दुस्वार भे गेलै
अमान-चैन के खून, देश में मजहब के दीवार भे गेलै

लेकिन गाँधीवाद डटल रहलै नव युग निर्माण करै ले
सभ्भे कुछ से भरलो-पुरलो उन्नत हिन्दुस्तान करै ले

कोनची युग निर्माण? हियाँ मानवता के अवसान सुरू छै
देश बेच के हुनके लगुआ-भिरुआ के जलपान सुरू छै

ई करिया अंग्रेज से लेकिन, अखनो तलक लड़ै छै गाँधी
धारावाहिक मौत सुरू छै किस्ते-किस्त मरै छै गाँधी