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कुष्ठ / शरद कोकास

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हँसी चकोरी चकोर हँसा
चाँद-चाँद तेरे मुँह पर दाग़

हँसी चकोरी-चकोर भी हँसा
चाँद-चाँद गलने लगा तू
फूटे तेरे भाग

चकोर ने कहा शर्म कर चाँद
मत निकल बाहर मत छू हमें
जा छुप जा पहाड़ी के पीछे

चकोरी ने कहा रहने दे चाँदनी
मत बिखरा किरणें
देवों का शाप है तुझसे प्रेम पाप है

दुखी हुआ चाँद छुप गया चाँद
आसमान चुप हुआ चुप हुआ चाँद

शोर मचा एक दिन
पहुँचे चाँद पर लोग जलाकर आग
देखी झीलें देखे मैदान
पहाड़ों की छांव थे चंद्रमा के दाग़

देखी आँख मिचौली
देखा चाँद का खेल
अमावस की रात में
नहीं होता मेल

लौट आये लोग कहा चकोरी ने
चकोर ने भी कहा
अरे किसके मुँह पर दाग़
किसके फूटे भाग
सुनकर हँसा चाँद
आसमान भी हँसा
चकोरी चुप हुई चकोर चुप हुआ
फिर हँसी चकोरी चकोर भी हँसा
चाँद चाँद किसके मुँह पर दाग़
अब कहाँ है दाग़।

-1994