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ख़तरा / जयप्रकाश मानस
Kavita Kosh से
कोई खतरा नहीं
जंगल भीतर
हरीतिमा में यदि पगडंडी
गुम हो गई
तो भी कोई बात नहीं
भटकने के बाद भी
एक ही दिशा में चलते रहना
कोई खतरा नहीं
कोई खतरा नहीं
माँद से निकलते
हिंसक पशुओं से
खतरा यदि कहीं है तो
मन में घात लगाए बैठे
घुसपैठिये से
भय से