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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 1 से 10 तक/पृष्ठ 2

(2)
रामरूप-वर्णन
(राग ललित )
भोर जानकी-जीवन जागे |
सूत मागध, प्रबीन, बेनु-बीना-धुनि द्वारे, गायक सरस राग रागे ||

स्यामल सलोने गात, आलसबस जँभात प्रिया प्रेमरस पागे |
उनीन्दे लोचन चारु, मुख-सुखमा-सिङ्गार हेरि हारे मार भूरि भागे ||

सहज सुहाई छबि, उपमा न लहैं कबि, मुदित बिलोकन लागे |
तुलसिदास निसिबासर अनूप रूप रहत प्रेम-अनुरागे ||