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तुमने नकारा मुझे / मुकेश निर्विकार
Kavita Kosh से
हे प्रिये! तुमने नकारा मुझे-
प्रकृति नकारी, बसंत नकारा
पत्तियाँ, कोमल-किसलय नकारे!
हे प्रिये! तुमने नकारा मुझे-
प्रेम नकारा
चाहत नकारी
पावन हृदय की गंगा नकारी!
हे प्रिये! तुमने नकारा मुझे
दिल को नकारा
मानस नकारा
चित्त, भावना-भाग्य नकार!
हे प्रिये! तुमने नकारा मुझे-
खुद को नकारा
सृष्टि नकारी
कुदरत नकारी
हे प्रिये! तुमने नकारा मुझे-
जीवन नकारा!