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नफरतो से जब कोई भर जायेगा / अश्वनी शर्मा

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नफरतों से जब कोई भर जायेगा
काम कोई दहशती कर जायेगा।

इक गली, इक बाग कोई छोड़ दो
एक बच्चा खेलकर घर जायेगा।

बागबां को क्यों ख़बर होती नहीं
फूल इक अहसास है मर जायेगा।

ये फकत सेहरा इसे मालूम कब
एक बादल-तर-ब-तर कर जायेगा।

ये यकीनन राह भूला है कोई
आग उगलेगा या फिर मर जायेगा।

काश कोई इन धमाकों को कहे
नींद में बच्चा कोई डर जायेगा।

हुकमरां की चाल तो तफरीह है
फिर किसी प्यादे का ही सर जायेगा।