गोताख़ोर
उतर कर
पत्थरों में
अपने को देखता है
आईनों में तैरते हुए
उजाले के मानिंद
मुस्कुराता है
अंधेरे भागते हैं
और समुद्र में डूब जाते हैं
रचनाकाल : 18 मई 1980
गोताख़ोर
उतर कर
पत्थरों में
अपने को देखता है
आईनों में तैरते हुए
उजाले के मानिंद
मुस्कुराता है
अंधेरे भागते हैं
और समुद्र में डूब जाते हैं
रचनाकाल : 18 मई 1980