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पहले सबकुछ भला दीखता था / निकानोर पार्रा

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पहले सबकुछ भला दीखता था
अब सब बुरा लगता है

छोटी घंटी वाला पुराना टेलीफोन
आविष्कार की कुतूहल भरी खुशियां देने को
काफी होता था
एक आराम कुर्सी - कोई भी चीज

इतवार की सुबहों में
मैं जाता था पारसी बाजार
और लौटता था एक दीवार घड़ी के साथ
-या कह लें कि घड़ी के बक्से के साथ -
और मकड़ी के जाले सरीखा
जर्जर सा विक्तोर्ला (फोनोग्राम) लेकर
अपने छोटे से 'रानी के घरौंदे' में
जहां मेरा इंतजार करता था वह छोटा बच्चा
और उसकी वयस्क मां, वहां की

खुशियों के थे वे दिन
या कम से कम रातें बिना तकलीफ की।
मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : श्रीकान्त