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फूल-2 / वेणु गोपाल
Kavita Kosh से
दोपहर में
लोग
बड़ा-सा पेड़
ढूंढ़ते हैं
और
फूल
निपट अकेला हो जाता है।
छाँह की बुनावट में
फूल की
कोई भूमिका नहीं होती।
(रचनाकाल : 23.05.1979)