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भानु-सहस्र-सदृश अति आभा / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग पीलू-ताल कहरवा)

भानु-सहस्र-सदृश अति आभा, शशिशेखर, त्रिनेत्र संयुक्त !
 रक्तवसनयुत, रत्नविभूषण, अमित इन्दुज्योत्स्नासे युक्त॥
 धारण कर स्वपाणिसे सादर पिला रही स्तन-सुधा अपार।
 जय वर-‌अभयदायिनी जय संतान-सुन्दरी स्नेहागार॥