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भोर के रंग खिलने लगे / रंजना वर्मा

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भोर के रँग खिलने लगे।
शंख मन्दिर में बजने लगे॥

मिल भजन कर रहे भक्तजन
ढोल के स्वर गमकने लगे॥

अर्घ्य देने लगी अंजली
गीत अधरों पर सजने लगे॥

फिर हृदय में बसी भानुजा
भावना-नीर बहने लगे॥

भाव दिल में उठे इस तरह
कण्ठ में स्वर अटकने लगे॥

बाँसुरी जब है तेरी बजी
दिल सभी के धड़कने लगे॥

तेरा दर्शन मिले इसलिये
भक्त जन हैं मचलने लगे॥