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भावांजलि / रंजना वर्मा
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भावांजलि
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रचनाकार | रंजना वर्मा |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- माँ शारदा के गीत लिखें गान के लिये / रंजना वर्मा
- प्यार की कोई कली उर में खिलेगी क्या / रंजना वर्मा
- साँवरे नैना मिला कर के गये हो / रंजना वर्मा
- अर्थ नूतन उभरने लगे / रंजना वर्मा
- कन्हैया मधुर नाम जप की नदी में / रंजना वर्मा
- जन गण नियति विधाता देना सदा सहारा / रंजना वर्मा
- गलियों में छाया कितना सन्नाटा है / रंजना वर्मा
- जग के जलागार में जीवन कागज की लघु नाव है / रंजना वर्मा
- भूमि नभ की पवन फूल बहार की बातें करें / रंजना वर्मा
- धरा पर यदि विपद हो तो स्वयं बन ढाल जायेंगे / रंजना वर्मा
- समस्याएँ श्वांस को कसने लगी हैं / रंजना वर्मा
- भोर है पात हिलने लगे / रंजना वर्मा
- नहीं जो करता कभी भी भूल है / रंजना वर्मा
- एक सिंदूरी सुहानी शाम है यह जिंदगी / रंजना वर्मा
- हवा जगाती अरुण सारथी वस्त्र बदलते देर हो गयी / रंजना वर्मा
- जिंदगी इक दर्द का एहसास है / रंजना वर्मा
- हर कहानी है अधूरी तृषित अब हर इक अधर है / रंजना वर्मा
- जिंदगी की हर कसम हमको निभानी चाहिये / रंजना वर्मा
- कंटकों के मध्य अब चलने लगे हैं / रंजना वर्मा
- नित समस्या में गलने लगा है / रंजना वर्मा
- युग यही है दे रहा आवाज़ / रंजना वर्मा
- हो नहीं यदि आस्था ये सुमन बन काँटें छलेंगे / रंजना वर्मा
- फूल सूखा हुआ मकरन्द मगर बाकी है / रंजना वर्मा
- तेल दीपक में डाला नहीं था / रंजना वर्मा
- हैं पवन मन्द चलने लगे / रंजना वर्मा
- सबसे अधिक शांत सुखदायी माता का आँचल है / रंजना वर्मा
- भुलाये ही नहीं जाते बिताये जो सुनहरे पल / रंजना वर्मा
- बरखा में संसार सुहाना लगता है / रंजना वर्मा
- कभी भी अपनों से हम न कोई गिला करेंगे ये तय हुआ था / रंजना वर्मा
- बेचैन है प्राची नया सूरज उगाने के लिये / रंजना वर्मा
- भोर के रंग खिलने लगे / रंजना वर्मा
- शिकायत क्या करें तकदीर के जब हम सताये हैं / रंजना वर्मा
- गगन में चाँदनी जब खिलखिलाती है / रंजना वर्मा
- सुहानी रात पूनम की सितारे जगमगाये हैं / रंजना वर्मा
- देश ने जो कुछ दिया मत भूल जाना / रंजना वर्मा
- कष्ट कितने भी मिलें पर मुस्कुराना चाहिये / रंजना वर्मा
- सभी के दिल में है द्वेष हिंसा सभी दिलों में दुर्भावना है / रंजना वर्मा
- निगाहें मिलाकर तू जब भी हँसा है / रंजना वर्मा
- है विपक्ष बेसब्र हो रहा करे अनर्गल व्यर्थ पुकार / रंजना वर्मा
- यादों के साथ प्राण सँवरते कभी नहीं / रंजना वर्मा