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सुहानी रात पूनम की सितारे जगमगाये हैं / रंजना वर्मा

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सुहानी रात पूनम की सितारे जगमगाये हैं।
मगर मन के गगन पर तो ग़मों के मेघ छाये हैं॥

चली ठंडी पवन ऐसी सिहरता चाँदनी का तन
कमल ने मूंद ली आँखें कुमुदगण मुस्कराये हैं॥

नहाकर चाँदनी में खिलखिलाई चाँद की लड़की
लहर सब सिंधु की पर चाँद को कंदुक बनाये हैं॥

हवाएँ झूम जाती हैं उड़ाकर धान की चुनरी
विहँस कर कामिनी के फूल पंखुड़ियाँ गिराये हैं॥

न हो शिकवा किसी को चाँद की फ़र्राख नीयत से
चमकती चाँदनी में अब सभी मंजर नहाये हैं॥

बड़ी क़ातिल फ़िज़ा है चैन मन में किस तरह ठहरे
सभी दिलकश नजारे बिजलियाँ दिल पर गिराये हैं॥

अंधेरी रात आती है हजारों ख़्वाहिशे लेकर
तमन्नाएँ जगी दिल में हमें बेबस बनाये हैं॥