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एक सिंदूरी सुहानी शाम है यह जिंदगी / रंजना वर्मा
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एक सिंदूरी सुहानी शाम है यह ज़िन्दगी।
मन रहे संतुष्ट तो अभिराम है यह ज़िन्दगी॥
प्राण का पथ है चिरंतन ठिठकना रुकना नहीं है
किंतु सच पूछो विकल विश्राम है यह ज़िन्दगी॥
तुम कहोगे यहाँ प्रति पग शूल स्वागत में खड़े हैं
और यह भी सच सतत संग्राम है यह ज़िन्दगी॥
ठिठकना रुकना मरण है क्यों भला तुम रुक रहे हो
बढ़ो आगे सतत गति का नाम है यह ज़िन्दगी॥
खोल मन की आँख देखो हर चुभन में तृप्ति सुख है
कौन कहता है कि मात्र विराम है यह ज़िन्दगी॥
योनियों को प्राण की यदि महत अभिवादन समझ लें
जगत को संक्षिप्त एक प्रणाम है यह ज़िन्दगी॥
पुरुष ने की भूल छोटी-सी प्रकृति के साथ थी जो
उसी नन्हीं भूल का परिणाम है यह ज़िन्दगी॥