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जन गण नियति विधाता देना सदा सहारा / रंजना वर्मा
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जन गण नियति विधाता देना सदा सहारा।
अब देशवासियों ने दाता तुम्हें पुकारा॥
आतंकवादियों ने जीवन किया अनिश्चित
मन देशवासियों के अब चाहते किनारा॥
सब स्वार्थ के पुजारी लड़ने लगे परस्पर
पर स्वार्थ पूजने से होता नहीं गुजारा॥
अब देश वासियों ने हैं ज्ञान-चक्षु खोले
है तीसरा नयन जो शिव शंभु का दुलारा॥
जाने चुनाव गंगा किस का भविष्य क्या है
डुबकी बिना लगाये इस ने नहीं उबारा॥
है कौन यहाँ सच्चा सब झूठ बोलते हैं
मतदान बतायेगा जीता है कौन हारा॥
हो कर्णधार सच्चा ही देश का हितैषी
जो लोभ का न प्रेमी वह ही सभी का प्यारा॥