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जिंदगी की हर कसम हमको निभानी चाहिये / रंजना वर्मा

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जिंदगी की हर कसम हमको निभानी चाहिए।
आपदाएँ हों तो क्या मंजिल सुहानी चाहिए॥

देश की पावन प्रगति की चाहना यदि हो हमें
स्वार्थ की संकल्पनाएँ भूल जानी चाहिए॥

हाथ में हथियार हों क्यों मजहबों के नाम पर
खून की नदियाँ हमें क्योंकर बहानी चाहिए॥

जो न सोचें दूसरों का हित न वह इंसान है
हर उदासी दूर कर खुशियाँ लुटानी चाहिए॥

करो सजदा मंदिरों में मस्जिदों में हो नमन
एकता कि आँख पर ऐनक लगानी चाहिए॥

एक से मिल एक ग्यारह हो करें ऐसा जतन
उंगलियों को बाँध कर मुट्ठी बनानी चाहिए॥

एक ही हो लक्ष्य बढ़ना है हमें आगे बहुत
बस्तियाँ इंसानियत की भी बसानी चाहिए॥