कष्ट कितने भी मिले पर मुस्कुराना चाहिए।
हर विपद में श्याम को दिल से बुलाना चाहिए॥
याद हो एहसान जो औरों ने हैं हम पर किये
पर किया उपकार अपना भूल जाना चाहिए॥
घेरती आतंक की लपटें जमाना जल रहा
आग नफ़रत की बुझा सुख शांति लाना चाहिए॥
लौट कर जाने न पाये कृष्ण का चंचल हृदय
प्रणय रजु से बाँध कर उस से दिल मिलाना चाहिए॥
हम अकिंचन हैं उसे क्या दें न कुछ भी पास है
भोग अपनी भावनाओं का लगाना चाहिए॥
है कहाँ वह देश मन की शांति मिलती है जहाँ
एक मुट्ठी भर खुशी हम को भी लाना चाहिए॥
पोछ डालें आँसुओं को नित नये त्यौहार हों
अब खुशी के गीत हिलमिल रोज गाना चाहिए॥