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भूमि नभ की पवन फूल बहार की बातें करें / रंजना वर्मा
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भूमि नभ की पवन फूल बहार की बातें करें।
क्यों न पल भर बैठकर हम प्यार की बातें करें॥
आज आंगन में पुनः हम चलो तुलसी रोप दें
चौक में फिर नीम की दरकार की बातें करें॥
फिर दरीचों में कबूतर प्यार से पालें चलो
दो घड़ी फिर आज हम घर द्वार की बातें करें॥
खून सबका खौलता है लाल है कितना क्षितिज
देख लें इसको न अब संहार की बातें करें॥
कारगिल है पोखरण है सर्बिया भी हैं कई
किसलिए फिर हम नये हथियार की बातें करें॥
खेत में बम बो गये कुछ लोग हैं फिर भी चलो
हम चना गेहूँ मटर की ज्वार की बातें करें॥
नीयतें हों साफ़ दिल हो साफ और इंसाफ हो
अब न हम तुम फिर कंटीले तार की बातें करें॥