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सबसे अधिक शांत सुखदायी माता का आँचल है / रंजना वर्मा
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सबसे अधिक शांत सुखदाई माता का आँचल है।
इसीलिए नारी पुनीत पावन गंगा का जल है॥
पठेसित स्वाभिमान दुर्गा-सा रोष नयन में भरता
किंतु हृदय नवनीत सदृश कोमल मृदु मुग्ध सरल है॥
ऐसे पुरुष कृतघ्न शोषकों को शासक पद देती
वसुंधरा-सा क्षमाशील उर कितना अधिक तरल है॥
सुख-दुख की प्रतिछाया बनकर सुधा दान नित करती
हाहाकार भरे अंतर में किसने भरा गरल है॥
कोमलता का यह प्रतीक सौंदर्य सुरभि का आकर
यही अजंता कि मूरत है यह ही ताजमहल है॥
जन्मदायिनी स्रष्टा-सी क्षीरामृत दे पालन करती
तन से उपज उसी को कहते नारी हालाहल है॥
तुम मत कभी बिखेरो काँटे औरों के जीवन में
जैसा किया वही पाओगे यह सिद्धांत अटल है॥