जिंदगी इक दर्द का एहसास है।
जो दुखी है वह ह्रदय के पास है॥
दुख अनवरत इस तरह आने लगे
जिंदगी ज्यों कष्ट का अनुप्रास है॥
आँख का पानी नहीं है मात्र जल
वेदना है ज़िन्दगी की आस है॥
बह रही गंगा अनावृत भूमि पर
यह नहीं सरिता वरन विश्वास है॥
सुख हिरण की आस बन भटका रहा
सिंधु है खारा अधर पर प्यास है।
दर्द का रिश्ता अमर बंधन सदा
अन्य नाता नहीं आता रास है॥
जी सके परहित न तो फिर क्या जिये
व्यर्थ जीवन सिर्फ़ तन है श्वास है॥