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शिकायत क्या करें तकदीर के जब हम सताये हैं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
शिकायत क्या करें तकदीर के जब हम सताये हैं।
बड़ी कठिनाइयों से हम तुम्हारे द्वार आये हैं॥
जमाना बेरहम यह कब किसी को चैन है देता
मिला दुख दर्द है बेहद बहुत आँसू बहाये हैं॥
भँवर है कष्ट का ऐसा किनारा कर लिया सबने
बड़ी उम्मीद ले कर आज इस दरबार आये हैं॥
सुना है हे जगत माता सुना करती हो तुम सबकी
इसी से घाव इस दिल के तुम्हें हमने दिखाये हैं॥
छिपे हैं दुर्निवारों कि जो दानव देह में मन में
कृपा पा भक्त सारे उन सभी से मुक्ति पाये हैं॥
तुम्हारे प्यार के बादल बरसते हैं सदा सब पर
मिले इक बूँद हमको भी यही सपना सजाये हैं॥
विनय तुमसे यही है माँ सदा सब पर दया करना
निवारण हो व्यथा का सब यही आशा लगाये हैं॥