(राग गुनकली-ताल मूल)
वर्ण गौर कर्पूर-सदृश आभामय मनहर।
अहिभूषण सब अन्ग सुसोभित कटि बाघबर॥
अक्षमाल-डमरू-त्रिशूल-खट्वान्ग-मुण्ड कर।
राजत भाल त्रिपुण्ड, अर्धशशि, जटाजूट वर॥
सिंह-चर्म-आसन शुचि षोडशदल पंकजपर-।
बैठे त्रिनयन, पञ्चवदन शंकर परमेश्वर॥