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रेत जाये / हरीश भादानी

6 अगस्त 2010

  • Neeraj Daiya

    नया पृष्ठ: <poem>रेत जाये दर्द की यह प्यास कैसी है कि आँखें जोड़ सूरज से पिये जाए …

    21:13

    +278

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