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जेब में बटुआ नहीं रखना चाहते लोग / हेमन्त शेष
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06:20, 17 जनवरी 2011
|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
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जेब में
बटुआ नहीं रखना चाहते
लोग इन दिनों।
और निश्चय ही यह कोई संयोग नहीं।
ज़माने की ज़माने पर है
एक छॊटी-सी टिप्पणी।
</poem>
अनिल जनविजय
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