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अन्धे जहान के अन्धे रास्ते / शैलेन्द्र
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17:06, 15 फ़रवरी 2011
आगाज़ के दिन तेरा अंजाम तय हो चुका
जलते रहे हैं, जलते रहेंगे, ये ज़मीं-आसमाँ
'''फ़िल्म : पतिता-1953
</poem>
अनिल जनविजय
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