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प्रेम दिल की पुकार है<br> हृदय का विस्तार है<br> स्वप्निल संसार है<br> रस की फ़ुहार है<br> तन-मन झूम जाता है<br> गीत बन जाता है<br><br>
प्रेम जिजीविषा का विकास है<br> जीवन का प्रकाश है<br> अधरों का उल्लास है<br> रागात्मकता का विलास है<br> मन-मयूर नाच उठता है<br> गीत बन निखरता है<br><br>
प्रेम मन का विश्वास है<br> जीवन की मिठास है<br> तीखी तकरार है<br> मीठी मनुहार है<br> रोम-रोम लहलहाता है<br> गीत बन जाता है<br><br>
शूल कहीं चुभता है<br> मर्म चीख उठता है<br> मीत याद आता है<br> दर्द और भी बढ जाता है<br> अन्तस गुनगुनाता है<br> गीत बुन जाता है<br><br>
बसन्त रितु का प्रसार<br> नवयौवना का विरह श्रुंगार<br> प्रिय का इन्तज़ार<br> विरहणी की अश्रुधार<br> दर्द छलक जाता है<br> गीत बन-संवर जाता है<br><br>
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