भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
'''लेखन वर्ष: २००४ /२०११'''
देखे जिसे कोई हसरतों से ऐसा तो नहीं हूँ मैं
माना यकता <ref>अतुल्य, Matchless, Incomparable</ref> हूँ मेरे जैसा कोई दूसरा नहींसच है फिर भी हर मायने में पहला तो नहीं हूँ मैं
मैं जी रहा हूँ अब तक तलक बिन तेरे तुम्हारे तन्हा-तन्हाजो असरकार हो जाये जायेगी वह सदा तो नहीं हूँ मैं
क्यों न थके मेरी ज़बाँ कहते-कहते सबको सभी को अच्छासोचो, कोई बातिल <ref>झूठा, Void</ref> कोई पारसा <ref>महात्मा, Saint</ref> तो नहीं हूँ मैं
न लड़ मुझसे मेरे रक़ीब तुझसे मेरी इल्तिजा है तुझसेजो आते-आते रह जाये वह क़ज़ा <ref>मृत्यु, Death</ref> तो नहीं हूँ मैं
यक़ीनन वह बेहद ख़ूबसूरत है ‘नज़र’, माह-रू हैवह न मिले मुझे मिल सके मुझको इतना भी बुरा तो नहीं हूँ मैं
</poem>