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<poem>
रात किस तरह यहाँ हमने बिताई बितायी होगी बात यह आपके जी में भी तो आई आयी होगी!
तड़पी होगी कोई बिजली भी तो उस दिल में कभी!
कोई बरसात उन आँखों में भी तो छायी होगी!
हम कहाँ और कहाँ आपसे मिलने का ख्यालख़याल!
किसी दुश्मन ने ये बेपर की उडायी होगी
हम न होंगे तो क़यामत नहीं आयी होगी
रंग चहरे चेहरे का तेरे अब भी ये कहता है, गुलाब!
रात भर आँख सितारों से लड़ायी होगी
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