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रात किस तरह यहाँ हमने बितायी होगी / गुलाब खंडेलवाल
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रात किस तरह यहाँ हमने बितायी होगी
बात यह आपके जी में भी तो आयी होगी!
तड़पी होगी कोई बिजली भी तो उस दिल में कभी!
कोई बरसात उन आँखों में भी तो छायी होगी!
हम कहाँ और कहाँ आपसे मिलने का ख़याल!
किसी दुश्मन ने ये बेपर की उडायी होगी
अपनी नागिन-सी लटें खोल दी होंगी उसने
हम न होंगे तो क़यामत नहीं आयी होगी
रंग चेहरे का तेरे अब भी ये कहता है, गुलाब!
रात भर आँख सितारों से लड़ायी होगी