गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कहने को तो वे हमपे मेहरबान बहुत हैं / गुलाब खंडेलवाल
No change in size
,
14:50, 12 अगस्त 2011
फिर भी हमारे हाल से अनजान बहुत हैं
क्या किससे पूछिए कि
जहां
जहाँ
मुँह सिये हों लोग
हैं नाम के ही शहर ये, वीरान बहुत हैं
Vibhajhalani
2,913
edits