701 bytes added,
12:19, 13 अगस्त 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेश यादव
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बहुत शान्त होता है
पानी में
एक टांग खड़ा
बगुला
बहुत शान्त होता है
नंगी डाल पर
गरदन लटकाए बैठा
गिद्ध
बहुत शान्त होता है
बूढ़े कंगूरे पर
चुपचाप बैठा
बाज
बहुत शान्त होता है
निशाना साधते हुए
बंदूक के कुंदे पर
टिका-
शिकारी का हाथ।
</poem>