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कितने निराश हो तुम ! / रवि प्रकाश
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10:00, 7 सितम्बर 2011
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|रचनाकार =रवि प्रकाश
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कितने निराश हो तुम !
धरती और ह्रदय के पच्छ में
खड़े होगे तुम !
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Shrddha
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