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सदस्य:Suraj rajwanshi

No change in size, 13:55, 7 अक्टूबर 2011
निदा फाजली साहब के दोहे
मैं रोया परदेस में भीगा मान माँ का प्यार !
दुःख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार !!