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सदस्य:Suraj rajwanshi
Kavita Kosh से
निदा फाजली साहब के दोहे
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार ! दुःख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार !!
छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार ! आँखों भर आकाश है बाँहों भर संसार !!
सबकी पूजा एक सी अलग-अलग हर रीत ! मस्जिद जाये मौलवी कोयल गए गीत !!